मुमुक्षमण्डल ट्रस्ट श्री गीता कुटीर तपोवन हरिद्वार एवं समस्त भारतवर्ष में सेवारत आश्रम, मंदिर, गौशाला, संस्कृत महाविद्यालय पाठशाला ,एवं वृद्धाश्रमों के संस्थापक एवं संचालक पूज्यचरण सदगुरुदेव श्री स्वामी गीतानन्द जी महाराज भिक्षु: द्वारा इस संस्था का प्रारम्भ सन 1973 में हुआ । पूज्यचरण श्री सदगुरुदेव जी इससे पूर्व श्री गीता कुटीर, स्वर्गाश्रम, ऋषिकेश हिमालय में तप साधना में रत रहते हुए निवाश किया करते थे । कभी नंगे पावँ , कबि काष्ठ चरण पादुका से, फलाहार व्रत के साथ की पैदल यात्रा किया करते थे। आगे पढ़े...
फिर उन्ही संत महापुरुषों की सायं कालीन भिक्षा की असुविधा को देखकर क्योंकि उन्हें भोजन के लिये बहुत दूर जाना पड़ता था। पूज्य चरण सदगुरुदेव श्री महाराज जी ने वर्ष 1973 में उन संत महापुरुषों की सायंकालीन भिक्षा से अन्नक्षेत्र श्री गीता कुटीर, तपोवन, हरिद्वार का श्री गणेश किया।
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आश्रम में आरामप्रद वृद्वाश्रम है। जिसकी स्थापना पंजाब केसरी के संपादक लाला जगत नारायण जी की प्रार्थना स्वीकार करते हुए पूज्यचरण श्री महाराज जी द्वारा की गई। आजकल 80 वृद्ध अपने शेष जीवन में सब प्रकार की सुविधायें प्राप्त कर सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करते हैं।
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पूज्यचरण श्री सदगुरुदेव महाराज जी द्वारा "मौनी संतों" के नाम पुकारी जाने वाली सैंकड़ो गौयें स्वस्थ्य सुन्दर, श्यामा, कपिल, मन्दाकिनी, सुलक्षणा, नन्दिनी, चूड़ामणि आदि भिन्न भिन्न नामों वाली गाय इस गौशाला में दर्शनीय है।
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गायों के लिये चारे की भूमि गंगा लहरी मे है। यह भूमि 50 बीघा के लगभग है। यहां से प्रतिदिन ट्रैक्टरों द्वारा गायों के लिए हरा चारा आता है।
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