सामने ही पांच मंजिलो में लगभग 200 की संख्या में निर्मित कमरों का अथिति - निवास की निःशुल्क व्यवस्था है । यहां प्रत्येक कमरो में पलंग बिछे हुए हैं, स्नानगृह और स्वछ अत्याधुनिक शौचालय है ।
सर्वथा, शान्त एकान्त, वातावरण में निर्मित "गीता -कुटीर" पूज्य महाराज श्री जी की तपस्थली है । पूज्यपाद सदगुरुदेव श्री महाराज जी ने इसी गीता कुटीर में निवास करते हुए श्री गीता मंथन, श्री गीता ज्ञानामृत, गीताज्ञान पुष्प, गीता-ज्ञान वाटिका, सदगुरु शरणम, प्रभु -कृपा, गीता -ज्ञान -पीयूष, गीता ज्ञान सागर आदि अनेक ग्रंथो की रचना केर जिज्ञासु पाठकों को कृत-कृत्य किया है । वर्ष 2002 में "गीता सुधारस" नामक ग्रन्थ जो की पूज्यचरण श्री महाराज जी द्वारा भक्तो को प्रेषित पत्र प्रसाद है प्रकाशित हुआ । वर्ष 2009 में "भिक्षु : गीता ज्ञान सार श्रीमदभगवत गीता भिक्षु भाष्य" नामक गरंथ को प्रकाशित किया गया जो की सम्पूर्ण भगवद गीता पर आधारित प्रवचनों का संचालन है ।